ग़ज़ल/कविताएँ
Love Ghazal Shayari in Hindi | बेस्ट 30+ रोमांटिक गजल शायरी।
कभी मुझ को साथ लेकर, कभी मेरे साथ चल के,
वो बदल गए अचानक, मेरी ज़िन्दगी बदल के।
हुए जिस पे मेहरबाँ, तुम कोई ख़ुशनसीब होगा
मेरी हसरतें तो निकलीं, मेरे आँसूओं में ढल के।
तेरी ज़ुल्फ़-ओ-रुख़ के, क़ुर्बाँ दिल-ए-ज़ार ढूँढता है;
वही चम्पई उजाले, वही सुरमई धुंधल के।
कोई फूल बन गया है, कोई चाँद कोई तारा;
जो चिराग़ बुझ गए हैं, तेरी अंजुमन में जल के।
मेरे दोस्तो ख़ुदारा, मेरे साथ तुम भी ढूँढो,
वो यहीं कहीं छुपे हैं, मेरे ग़म का रुख़ बदल के।
तेरी बेझिझक हँसी से, न किसी का दिल हो मैला
ये नगर है आईनों का, यहाँ साँस ले संभल के।
Love Ghazal Shayari in Hindi
तस्वीर का रुख एक नहीं दूसरा भी है,
खैरात जो देता है वही लूटता भी है।
ईमान को अब लेके किधर जाइयेगा आप
बेकार है ये चीज कोई पूछता भी है।
बाज़ार चले आये वफ़ा भी, ख़ुलूस भी
अब घर में बचा क्या है कोई सोचता भी है।
वैसे तो ज़माने के बहुत तीर खाये हैं,
पर इनमें कोई तीर है जो फूल सा भी है।
इस दिल ने भी फ़ितरत किसी बच्चे सी पाई है,
पहले जिसे खो दे उसे फिर ढूँढता भी है।
उसने खत में मेरी कई बार खता लिखा
मगर एक बार भी नही बेवफा लिखा,
खामोश था वो तो हर किसी के सवाल पर
मगर खुद से कभी भी नही खफा।
आज भी बटुये में उसने मेरा गुलाब रक्खा है
लेकिन उसे सबकी नज़र से छुपाये रख्खा।
गुनाहे जुर्म मुझसे कई बार हुवा बिना चाहें
उसने आज भी मुझको अपना बनाये रख्खा।
अहसास है मुझकों मुमकिन नही है तुझे भूल पाना
मैंने भी उसके हर खत को सीने से लगाये रख्खा।
बढ़ गयी थी दूरियां बहुत दरमियाँ मेरे उसके ऐ राज
मगर सामने सबके सीने से मुझको लगाये रख्खा।
तुम न आये एक दिन का वादा कर दो दिन तलक,
हम पड़े तड़पा किये दो-दो पहर दो दिन तलक।
दर्द-ए-दिल अपना सुनाता हूँ कभी जो एक दिन,
रहता है उस नाज़नीं को दर्द-ए-सर दो दिन तलक।
देखते हैं ख़्वाब में जिस दिन किस की चश्म-ए-मस्त,
रहते हैं हम दो जहाँ से बेख़बर दो दिन तलक।
गर यक़ीं हो ये हमें आयेगा तू दो दिन के बाद
तो जियें हम और इस उम्मीद पर दो दिन तलक।
क्या सबब क्या वास्ता क्या काम था बतलाइये
घर से जो निकले न अपने तुम “ज़फ़र” दो दिन तलक।
Heart Touching Ghazal in Hindi
एक अजीब सी हालत हैं तेरे जाने के बाद
भूख ही नहीं लगती खाना खाने के बाद।
नींद ही नहीं आती मुझे सोने के बाद,
नज़र कुछ नहीं आता आँखे बंद होने के बाद।
डॉक्टर से पूछा इसका इलाज़ दी 4 टैबलेट
बोला खा लेना 2 जागने से पहले 2 सोने के बाद।
पता है जमाने से क्या हमकों मिला है,
छला ही गया हूँ इसी जमाने ने छला है।
छीनी होंठो से हँसी मेरे चाहा जब मुस्कराना
आँख वाले अंधे है इन्हें क्या जख्म है दिखाना
रोता हूँ हाल पर अपने नही जमाने से गिला है।
जिससे मोहब्बत की उम्मीद थी मुझको ज्यादा
ऐन वक़्त पर ऐ राज उसने बदला अपना इरादा
दिल तोड़ना ही उसका पुराना सिलसिला है।
कौन कद्र करता है सच्ची मोहब्बत की जमाने मे
हर कोई लगा है अपनी इज्जत बचाने में
फक्र है मुझकों मुझे कोई कातिल अपना ही मिला है।
काँपते है होठ मेरे अब मुस्कराने से पहले
चले जाते हैं वो पास मेरे आने के पहले।
अब तो हँसते है बालों के खेजाब मेरे
कहते है कि क्यू संवरता है उनके आने के पहले।
कई फूल और भी है जमाने मे ऐ राज
तू हर किसी को न अपना बना आजमाने से पहले।
किसी और को भी होगी शायद जुफ़्तजु तेरी
एक जमाना और था इस जमाने से पहले।